एल्युमिनियम इंप्लाईज यूनियन (एटक) बालको नगर के पदाधिकारियों की बैठक कामरेड एस के सिंह की अध्यक्षता में मुस्ताक भवन एटक कार्यालय बालको नगर में संपन्न
इंडियन महानायक न्यूज 24 समाचार छत्तीसगढ़ कोरवा (कोरबा)
दिनांक 12 जनवरी 2025
एल्युमिनियम इंप्लाईज यूनियन (एटक) बालको नगर के पदाधिकारियों की बैठक कामरेड एस के सिंह की अध्यक्षता में मुस्ताक भवन एटक कार्यालय बालको नगर में संपन्न हुई, जिसमें सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों एवं बालकों में कार्यरत कर्मचारीयों की विभिन्न समस्याओं तथा रोज-रोज की परेशानियों को दूर करने पर गंभीर चर्चा हुई, तथा आगामी दिनों के लिए कार्य नीति तैयार की गई। पदाधिकारी को संबोधित करते हुए राज्य एटक के महासचिव कामरेड हरिनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार और उद्योगपति भारत को 18वीं शताब्दी में ले जाना चाहते हैं, जब मजदूरों से 12 से 24 घंटे तक काम करवाया जाता था, इसके विरोध में शिकागो के मजदूरों ने 1 मई 1886 को 8 घंटे काम, 8 घंटे आराम व 8 घंटे सामाजिक जिम्मेदारियां को पूरा करने के लिए दिया जाए की मांग को लेकर बृहद आंदोलन किया था, इसके पश्चात आज पूरी दुनिया में 8 घंटे का काम निर्धारित है, परंतु वर्तमान सरकार पुराने 44 श्रम कानून को, जो मजदूरों की लंबी लड़ाई तथा अनगिनत बलिदानों के पश्चात प्राप्त हुए हैं जिससे श्रमिकों को संरक्षण व सामाजिक सुरक्षा प्राप्त है, को रद्द/समाप्त करके चार श्रम संहिता, जो न केवल घोर श्रमिक विरोधी है बल्कि नियोजन पक्षीय भी है। एलएनटी के प्रमुख एस एन सुब्रमण्यम और इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति जिन्होंने दो दिन पूर्व कहा कि श्रमिकों कर्मचारियों को सप्ताह में 70 से 90 घंटे काम करना चाहिए। उनका यह वक्तव्य भारत के श्रमिकों कर्मचारी के लिए घोर अमानवीय वह निंदा जनक है। उनका यह कहना कि हमें दुख है कि हम रविवार को कम नहीं करवा पा रहे हैं।
केंद्र सरकार के 2020 में पारित चार श्रम संहिताओं में 12 घंटे काम करने की बात है। चार श्रम संहिता अभी लागू नहीं हुई है परंतु उद्योगपतियों द्वारा 8 घंटे से अधिक काम लेना प्रारंभ कर दिया गया है। वेतन कटौती भी जारी है। फिक्स टर्म अपॉइंटमेंट अर्थात एक निर्धारित समय के लिए नौकरी पर रखा जा रहा है।
भारत सरकार और उद्योगों के मालिक भारत को 18वीं शताब्दी में ले जाने के लिए आमादा है। श्रमिक मजदूर वर्ग ऐसी सोच और मानसिकता वाले उद्योगपति और सरकार के विरोध में लड़ाई लड़ रहे हैं। कामरेड सिंह ने आगे कहा कि बोनस अधिनियम 1965 का भी दुरुपयोग हो रहा है क्योंकि 8.33 उन उद्योगों को भी बोनस देना पड़ता जो लाभ नहीं कमा रहे है परंतु जो उद्योग मुनाफा कमा रहे हैं उनको 20% का भुगतान करना चाहिए। बोनस भुगतान की धारा 10 के अनुसार जो कर्मचारी 21000 से अधिक वेतन पाते हैं, ऐसे कर्मचारियों को कंपनी में प्रचलित प्रथा के अनुसार अनुग्रह राशि का भुगतान करना है, परंतु उद्योगों के मालिक उस पैसे को हजम करते आ रहे हैं, इसके लिए यूनियन और श्रमिकों को आवाज बुलंद करना चाहिए तथा उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भत्ते कारखाने में कार्य कर्मचारियों श्रमिकों में समान व समरूप होना चाहिए।
एल्युमिनियम इंप्लाईज यूनियन (एटक) बालको नगर के पदाधिकारियों ने भी अपने-अपने विभागों लंबित समस्याओं की जानकारी दिये जिसे अभिलंब निराकरण कराए जाने की बात कहीं तथा विशेष जोर दिया कि 5 फरवरी 2025 को केंद्रीय संयुक्त ट्रेड यूनियन के आह्वान पर विरोध दिवस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया