केंद्रीय बजट में आम जनता को पूरी तरह से उपेक्षित किया गया है। महंगाई,बेरोजगारी,जैसे समस्याओं का निराकरण का कोई भी झलक बजट में नहीं है।

केंद्रीय बजट में आम जनता उपेक्षित
केंद्रीय बजट में आम जनता को पूरी तरह से उपेक्षित किया गया है। महंगाई,बेरोजगारी,जैसे समस्याओं का निराकरण का कोई भी झलक बजट में नहीं है।
बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के जिला अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि देश में मेहनतकश लोगों की क्रयशक्ति में हो रही गिरावट के कारण देश के अंदरूनी बाजार संकुचित हो रहा है और उत्पादित वस्तु के बाजार में खरीददार नहीं है। इस मुख्य आर्थिक संकट से देश को बाहर निकालने के लिए देश में मेहनतकश लोगों की उपार्जन के श्रोत का बढ़ाने के लिए रोजगार सृजन की आवश्यकता को बजट में पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ आम जनता की क्रयशक्ति घट रही है और दूसरी तरफ भयानक महंगाई आम जनता पर अधिक आर्थिक बोझ डाल रही है।केंद्रीय वित्तमंत्री द्वारा पेश बजट में महंगाई की विभीषिका के निजाद दिलाने का कोई दिशा नहीं है।बल्कि इस बार के बजट में खाद्य सब्सिडी में पिछले वर्ष के अपेक्षा कम राशि आवंटित किया गया है। एक तरफ रोजगार की संकट के चलते देश के बहुमत जनता की आय में कमी हो रही है जनता के आय को बढ़ाए बिना वित्त मंत्री बड़े लोगों की आयकर में राहत देकर लोगों की भ्रमित कर रही है।क्योंकि इस छूट से माध्यम वर्ग से अधिक धनाढ्य और उच्च वर्ग ही अधिक लाभान्वित होंगे। कॉरपोरेट कर और धनाढ्य वर्ग पर कर की मात्रा बढ़ाने के अवसर था लेकिन वित्तमंत्री ने उस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया है। कॉरपोरेट घरानों से अधिक टैक्स लगाकर सरकार अपनी राजस्व में वृद्धि कर खाद्य अनुदान ,शिक्षा,स्वास्थ्य,और अन्य सामाजिक क्षेत्र में आबंटित राशि में वृद्धि कर सकती थी क्यों कि शिक्षा,स्वास्थ,खाद्य अनुदान में किया गया आबंटित राशि अपर्याप्त है। पिछले वर्ष खाद्य अनुदान जहां 2.05 लाख करोड़ रुपए आवंटित किया गया था इस वर्ष इस मद पर आबंटित राशि में कटौती कर 2.03 लाख करोड़ रुपए किया गया है।ग्रामीण जनता के रोजगार का एक प्रमुख स्रोत मनरेगा है और मनरेगा में रोजगार की मांगे बढ़ी है लेकिन इस मद पर आबंटन में कोई बढ़ोतरी नहीं किया गया है। उसका सीधा मतलब है कि इस क्षेत्र में कम लोगों को कम दिनों के लिए ही रोजगार मिलेगी।यानी मनरेगा में मजदूरों की कार्यदिवस में कटौती किया गया।
कुलदीप कहा बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश का विरोध