छत्तीसगढ़

होली खेले तो उठा ले जाएगा बाघ, इस गांव में 100 सालों से नहीं खेली गई होली

 

इंडियन महानायक न्यूज 24 समाचार छत्तीसगढ़ सारंगढ़ – बिलाईगढ….

सारंगढ़-बिलाईगढ़। जिले के बरमकेला ब्लॉक के हट्टापाली गांव में पिछले करीब 100 साल से अधिक समय से होली नहीं खेली गई। इसे पुरानी मान्यता कहे या अंधविश्वास, जो आज भी चली आ रही है। कहा जाता है कि अगर गांव में होली मनाए, तो बाघ उठाकर ले जाएगा। जिसके डर से आज भी यहां कोई होली का पर्व नहीं मनाता है। रायगढ़ से अब सारंगढ़ जिला अलग हो चुका है और इसके बरमकेला ब्लॉक के हट्टापाली ग्राम पंचायत में लंबे समय होली नहीं मनाने की पुरानी परंपरा चली आ रही है। ग्राम पंचायत हट्टापाली समेत उसके आश्रित ग्राम छिंदपतेरा, मंजूरपाली, जगदीशपुर और अमलीपाली में आबादी तकरीबन 1500 होगी, लेकिन कोई भी होली नहीं खेलता है। इसके अलावा खमरिया ग्राम पंचायत और महुआपाली में भी होली नहीं खेली जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि बुजुर्ग कहते थे कि कई साल पहले जब यहां होलिका दहन किया जा रहा था, तभी जंगल से निकलकर एक बाघ आया और गांव के बैगा को उठाकर ले गया।

चली आ रही परंपरा

उसके बाद से होली नहीं मनाने का संकल्प लिया गया और बुजुर्ग अपने नाती-पोतों को यह बात सुनाते आ रहे हैं, जिसके कारण किसी अनहोनी के डर से यहां होली नहीं मनाने की परंपरा चली आ रही है। होली के दिनों में जब कोई ग्रामीण पास के दूसरे गांव में जाता है और कोई गुलाल लगाता है, तो उसे सिंदूर लगाने कह दिया जाता है।

नहीं लगती है दुकानें

हट्टापाली ग्राम पंचायत में होली के दिन भी सब कुछ सामान्य होता है। न कोई होली से संबंधित दुकानें लगती है। न गांव में गुलाल उड़ता है और न ही बच्चे पिचकारी व मुखौटे का आनंद ले पाते हैं और न गांव में फाग और नगाड़े की थाप होती है।

एक बार होली खेलने की हुई थी कोशिश

पूर्व जिला पंचायत सदस्य रामकृष्ण नायक ने बताया कि हट्टापाली ग्राम पंचायत समेत 10 गांव में होली नहीं खेली जाती है। लगभग 90-100 साल हो चुके हैं। एक बार जरूर तकरीबन 15 साल पहले छिदंपतेरा के शंकर अग्रवाल ने होली खेलने की कोशिश की थी, लेकिन उसी दिन गांव का एक ग्रामीण पानी में डूबते-डूबते बचा था। जिसके बाद से फिर से लोगों में डर बैठ गया और यहां आज तक होली नहीं खेली गई।

अंधविश्वास ने जकड़ रखा है

पत्रकार रूपधर पटेल ने कहा कि लोगों को अंधविश्वास ने जकड़ रखा है। कहा जाता है कि अगर होली खेले तो बाघ उठा ले जाएगा। बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि बहुत पहले होलिका दहन के दिन बैगा को बाघ ले गया था। तब से होली नहीं मनाई जाती है। युवा पीढ़ी की सोच है कि वे भी रंग गुलाल उड़ाएं, लेकिन बड़े बुजुर्ग सदियों से चली आ रही परंपरा की दुहाई देते हैं। इस वजह से हमारे पंचायत में होली नहीं मनाई जाती है। इससे बच्चे दुखी होते हैं।

अब त्योहार मनाना चाहिए

छिंदपतेरा ग्राम पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि राजकुमार पटेल ने बताया कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए होली का त्योहार मनाना चाहिए। भले ही होलिका दहन नहीं किया जाए, लेकिन एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाना चाहिए। ताकि आपसी भाईचारा बना रहे। राजकुमार पटेल ने बताया कि उनकी उम्र 53 साल हो रही है और उनके बुजुर्गों के समय से होली नहीं खेली जा रही है।

होली के दिन भी सब कुछ सामान्य

हट्टापाली सरपंच पवित्रा बरिहा ने बताया कि होलिका दहन के दिन बैगा को बाघ उठाकर ले गया था। तब से होली नहीं खेल रहे हैं। बड़े बुजुर्गों से सुने हैं वह परंपरा चली आ रही है। देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन होली नहीं खेली जाती है। होली के दिन भी हट्टापाली गांव में सब कुछ अन्य दिनों के तरह सामान्य रहता है।

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