रिहायशी इलाके में खदान, दहशत में ग्रामीण, प्रबंधन विस्तार में मस्त

इंडियन महानायक न्यूज़ 24 ललित महिलांगे की रिपोर्ट
दीपका गेवरा
नियम कानून को पलीता,शासन- प्रशासन,जनप्रतिनिधि मौन
लोगों को असुविधा कर खदान का निरीक्षण करने आते हैं सीएमडी
कौन सुनेगा ग्रामीणों की पुनर्वास रोजगार मुआवजा कटौती के मसले को, ग्रामीण जमीन देकर भी घर से हो रहे हैं बेघर
किसान ही अन्न उपजाकर, अन्न दान कर लोगों के पेट भरने का साधन देकर बड़े व्यापार की संरचना में मददगार होते हुए प्रत्येक देश,राज्य, गांव-शहर की प्राथमिक इकाई होते हैं गांव से ही विकास की शुरुआत होती है और कड़ी मेहनत कर धूप-छांव, ठंड-बरसात,गर्मी में मेहनत करके अन्न उपजाते हैं देश के उन तमाम लोगों का पेट भरने का काम करते हैं ये किसान, जो छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिला जिसे ऊर्जाधानी के नाम से भी जाना जाता है, यहां भी रहते हैं ।
यह जिला काला हीरे की धरती भी है, यहां से कोयला का राजस्व सबसे अधिक देश व राज्य के लिए जाता है जबकि यहां के मूल किसान अपने बेहतर पुनर्वास, रोजगार, मुआवजा के लिए संघर्ष कर रहे हैं अपने अधिकार के लिए लगातार एसईसीएल प्रबंधन सहित शासन-प्रशासन से मांग कर सड़कों पर,खदानों के बाहर व भीतर संघर्षरत रहते हैं जो ग्रामीण, किसान अपने देश व राज्य के विकास के लिए अपने पुरखा की सर्वोच्च परिसंपत्तियों को खदान के लिए समर्पण कर दिए, आज उनके अधिकार व हक को दबाया जा रहा है, उनकी आवाज को शासन-प्रशासन के नियम बताकर और पुलिस के बल से दफन किया जा रहा है किसान, ग्रामीण किसके पास अपने अधिकार की मांग करें, क्योंकि कोई सुनने को तैयार नहीं है बिलासपुर हैडक्वाटर हो या कोल इंडिया के चैयरमैन हों,ये दौरा करने कोरबा जिला के कोयला खदानों में आते हैं और खदानों का निरीक्षण करके वापस चले जाते हैं लेकिन कभी भी किसी भी कोल इंडिया के अधिकारी ने किसानों के दर्द को, उनकी पीड़ा को कभी समझ ही नहीं विरासत की जमीन को कूटनीतिक तरीके से किसानों के परिसंपत्तियों को खाली कराया जा रहा है ।
गौरतलब है कि कोयला खदानों को कोल इंडिया के अधिकारी लगातार विस्तार कर रहे हैं विस्तार को लेकर साम,दाम,दंड,भेद की नीति से अधिकारी काम कर रहे हैं झूठे मामले में किसानों-ग्रामीणों पर मुकदमा दायर करवा कर भय का माहौल बनाकर जमीनों से बेदखल कराया जा रहा है रिहायशी इलाकों में खदानों का विस्तार कर रहे हैं, खनन कार्य और हैवी ब्लास्टिंग के कारण लोगों को दहशत के आलम में जीवन में जीने के लिए छोड़ दिया गया है कई घरों में ब्लास्टिंग के कारण कई घटनाएं रिहायशी इलाकों में हो चुकी हैं किंतु कोई सुध लेने को तैयार नहीं है शायद, कोई बड़ी घटना का अधिकारी इंतजार कर रहे हैं कोल इंडिया के अधिकारी नियम-कानून का खुला उल्लंघन कर रहे हैं, नियम कानून ताक पर रखकर खदान के विस्तार को महत्वपूर्ण काम रखा गया है चैयरमैन, सीएमडी खदानों का निरीक्षण व दौरा करने लगातार आ रहे हैं, यहां तक की जिनके हाथ में कोयला खदान है, वे कोयला मंत्री भी कोरबा जिला आकर कोयला खदानों का दौरा करके चले गए लेकिन जिले के मूल किसानों के दर्द-पीड़ा को समझना, उनके साथ बैठकर उनकी समस्याओं को सुनने का काम कभी नहीं हुआ भूमिपुत्र अपने दर्द-पीड़ा में रो रहा है और संबंधित अधिकारी अपने समय सीमा की ड्यूटी के काम को पूरा कर रहे हैं लेकिन कब, किसानों की समस्याओं पर समाधान की पहल कौन करेगा? यह सबसे बड़ा सवाल है?