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सुप्रीम कोर्ट का बी टी एक्ट रद्द करने संबंधी अंतिम फ़ैसला 29 जुलाई 2025 को

बारह साल पहले दायर की गई रिट की आज 16 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद यह फ़ैसला सुनाया.

इंडियन महानायक न्यूज 24 समाचार बौद्ध गया

बोधगया से खुशखबरी

हमारे एडवोकेट आनंद जी की सुनवाई के बाद जस्टिस दीपांकर और जस्टिस प्रसन्नदीप ने सरकारी वक़ील को फटकार लगाई कि इस मामले में इतनी देरी क्यों की गई ? अब बिना देरी किए 29 जुलाई 2025 को आख़िरी सुनवाई हो जाएगी जिसमें दोनों पक्षों को अपने अपने हलफ़नामे पेश करने हैं.

देश दुनिया व क़ानून का माहौल हमारे पक्ष में है इसलिए इस समय किसी भिक्षु या उपासक द्वारा थोड़ी सी भी लापरवाही, गलती या अपरिपक्व बातें की गई तो जीती हुई बाज़ी छूट जाएगी.

मैं स्वयं एक सप्ताह तक इस आंदोलन के धरने का हिस्सा बना हूँ मैंने सच्चाई को क़रीब से देखा है.

तेज गर्मी आँधी तूफ़ान में भी हमारे कई वरिष्ठ भिक्षु, विचारक, उपासक उपासिकाएँ कई मुश्किलों का सामना करते हुए आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसे दौर में कोई भी भिक्षु या उपासक नेतृत्व की चाह या इच्छाओं या अति महत्वाकांक्षा में आंदोलन के बारे में अफ़वाहें फैलाकर लोगों को गुमराह करेंगे तो यह आंदोलन के लिए बहुत नुकसानकारी होगा.

सभी से आग्रह है कि हमें विश्व धरोहर को बचाने के लिए यूनेस्को, केंद्र व राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट से संवाद करना है. बहुत समझदारी से आगे बढ़ना है, अपना पक्ष मज़बूत रखना है. बोधगया में कम पढ़े लिखे लोगों से बहस, वाद विवाद कर उलझने से हमें नुक़सान हीं होगा

बाबासाहेब के आंदोलनों को याद करो. चाहे महाड पानी सत्याग्रह हों या काला राम मंदिर का आंदोलन. बाबासाहेब ने क़ानूनी और बौद्धिक स्तर पर संघर्ष किया. व्यक्तिगत वाद विवाद व झगड़े से वे दूर रहें. आंदोलन के दौरान उन पर हमला भी हुआ. उस समय उनके साथ तो सैकड़ो वीर रिटायर्ड फ़ौजी थे यदि वे चाहते हैं तो विरोधियों का कचूमर निकाल सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. क्योंकि वे बुद्धि व क़लम से विरोधी पर वार करते थे. और इसी आधार वे अपने आंदोलन में सफल हुए. बाद मे लंबी पारी खेली और दलित पिछड़े वंचित समाज को संविधान का सुनहरा तोहफ़ा दिया. हमारे हक़ अधिकार दिए.

महाबोधि मुक्ति आंदोलन बोधगया में आकाश लामा, वरिष्ठ भिक्षु डॉ.चंद्रकीर्ति, भंते प्रज्ञाशील, भंते धम्मताप, भंते ज्ञानज्योति आदि कई भिक्षु और उपासक उपासिकाएँ मज़बूती से डटे हुए हैं. आए दिन धरने पर हज़ारो विचारक, राजनेता, संगठन, संस्थाएं अपना नैतिक और आर्थिक समर्थन दे रहे हैं.

ऐसे में अपने घरों में एसी कमरों में बैठे हुए जो लोग इनके इरादों पर सवाल खड़े कर आरोप लगा रहे हैं वे यदि धरना स्थल पर आंधी तूफ़ान व तपती लू में एक घंटे भी बैठे तो हक़ीक़त से रूबरू हो जाएंगे. हौसलाअफ़जाई न करें तो कोई बात नहीं, उनकी भावनाओं को चोट तो न पहुंचाएं .

यहाँ धरने में कोई घोटाला नहीं है, न गुमराह किया जा रहा है इसलिए जो लोग डटे हुए हैं उनकी भावनाओं को आघात मत करिए. और दूसरी ओर जो लोग अति महत्वाकांक्षी है उन्हें चाहिए कि आपसी मतभेदों को भुलाकर एक हो जाएँ.

सुप्रीम कोर्ट में बारह साल बाद आज 16 मई को सुनवाई हुई है और 29 जुलाई को अंतिम फ़ैसला आने वाला है. इसलिए तब तक हमारा पक्ष मज़बूत करने के लिए सारे प्रमाण पेश करना है. सामाजिक, प्रशासनिक, क़ानूनी पक्षों को मज़बूत करते हुए विजय हासिल करनी है.

ऐसे मुश्किल दौर में कृपया सभी संयम बरतें और बोधगया मुक्त कराने की मुहिम के भागीदार बने. ये सब बातें इतिहास में दर्ज होगी और आने वाली पीढ़ियां जानेगी कि हमने इस दौर में क्या भूमिका निभाई. आने वाला समय बुद्ध का है

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