कोरबा-पूर्व निर्णय अनुसार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला परिषद कोरबा द्वारा कोरबा तानसेन चौक (आईटीआई चौक) पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन पर जिलाधीश महोदय द्वारा माननीय राज्यपाल महोदय के नाम ज्ञापन दिया गया ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि
छत्तीसगढ़ राज्य जिसको धान का कटोरा कहा जाता है में विगत कुछ समय से धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों पर सुनियोजित हमले हो रहे हैं। यह घटनाएं सांप्रदायिक सौहार्द ,लोकतांत्रिक मूल्य एवं संवैधानिक अधिकारों पर सीधा आघात है सांप्रदायिक तनाव को भड़काने और आर्थिक संकट और बेरोजगारी, भुखमरी जैसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने की एक भटकाने वाली रणनीति है आज सरकार द्वारा स्कूल बंद किये जा रहे हैं सरकारी संपत्ति संपदा और जमीन सहित सभी प्राकृतिक संसाधनों को कॉर्पोरेट घरानों के हाथों बेचा जा रहा है।, भारत देश में नागरिकों के लिए संविधान बना हुआ है जिसके तहत नागरिकों को अपने के धर्म का पालन और प्रचार करने का अधिकार देता है।
भिलाई में जिस तरह दो ननों के उपर मानव तस्करी का झूठा आरोप लगाकर उन्हें जेल में बंद कर दिया गया और उनके साथ कुछ लड़कियां भी थी उनको भी परेशान किया गया,
हमारी पार्टी ऐसी घटना की निंदा करती है और एक निष्पक्ष जांच की मांग करती है जिससे दोषियों को सजा हो सके, और इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो।
धरना प्रदर्शन में सीपीआई जिला सचिव वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोप में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी धर्म से जुड़े बढ़ते उत्पीड़न का एक और उदाहरण है। असीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट की केरल की सिस्टर प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस, तीन आदिवासी लड़कियों को नौकरी के लिए आगरा के एक कॉन्वेंट में ले जा रही थीं, जब 25 जुलाई को बजरंग दल के एक सदस्य द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद उन्हें दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की धारा 4 (धर्मांतरण) और बीएनएस की धारा 143 (तस्करी) के तहत मामला दर्ज किया गया लेकिन लड़कियों के परिजनों ने स्पष्ट किया है कि उनका जबरन धर्मांतरण नहीं हुआ था और उन्होंने आगरा ले जाने के लिए अपनी सहमति दी थी। छत्तीसगढ़,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड और ओडिशा सहित कई राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानूनों के प्रावधानों का दुरुपयोग किया है, भारत का संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 25 से 30 तक धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को अपने धर्म का पालन करने, प्रचार करने और अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार है।इन अधिकारों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अल्पसंख्यक समुदाय अपनी पहचान और संस्कृति को संरक्षित करते हुए सम्मान के साथ रह सकें। इस धरना प्रदर्शन में सीपीआई छत्तीसगढ़ राज्य परिषद सदस्य एम एल रजक जी, सुनील सिंह, विजयलक्ष्मी चौहान, जिला सहसचिव अनूप सिंह, कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी, जिला परिषद सदस्य एस के सिंह,एल पी अघरिया,एन के दास, संतोषी बरेढ, विनोद यादव अपनी बात रखे। इस धरना प्रदर्शन में उपस्थित ताराचंद कश्यप, सुभाष यादव, सुखभंज सिंह, मनीराम खंडे, लक्ष्मी चौधरी, बबली बरेढ, भुनेश्वरी चौहान, शीतला यादव, इंद्राणी श्रीवास, मीना यादव,केवरा यादव, मनोज प्रजापति, संजय कुमार,सुजीत सिंह, लालू राव, वकील राम, तेरस राम, योगेश साहू, नरेश खुटे, एमडी शोएब, लालमन सिंह, फुलेन्द पासवान, धर्मेंद्र शाह कृपाल राम, सुमित, संजय कुमार, आरके पांडे, राजू बरेढ, ग्रहण भाई, मोगरा बाई, कुमारी बाई यादव अन्य सैकड़ो साथी उपस्थित रहे।